अतुलित बलधामम हेमशैलाभ देहम
दनुजवन कृशानुम ज्ञानिनाम अग्रगण्यम
सकलगुणनिधानम वानराणाम धीशम
रघुपतीप्रिय भक्तम वातजातम नमामि
गोष्पदिकृत वारिशम मशकीकृत राक्षसम
रामायणमहामाला रत्नम वंदे अनिलात्मजम
अंजनानंदं वीरम जानकीशोकनाशनम
कपीशमस्य हंतारम वंदे लंका भयंकरम
उल्लंघ्य सिंधो सलिलम सलिलम, यः शोकवन्हीं जनकत्मजायाः
आदाय ते नैव ददाह लंकाम नमामि तं प्रंजलिरांजनेयम
मनोजवं मारुततुल्यवेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमताम वरिष्ठम
वातात्मजम वानरयुथमुख्यम, श्रीरामदुतम शरणं प्रपद्ये
आंजनेय मतिपाटलाननम कांचनाद्रिक मनीय विग्रहम
पारिजाततरुमूल वासिनम, भावयामि पवमाननंदनम
यत्र यत्र रघुनाथकिर्तनम तत्र तत्र कृत मस्तकांजलिम
वाष्पवारिपरिपूर्ण लोचनम, भावयामि पवमाननंदनम
Audio link:http://www.youtube.com/watch?v=p4GTXPyacJA
No comments:
Post a Comment